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रुक्मणी विवाह मे भक्तो ने बढचढ कर लिया हिस्सा, गीत संगीत के साथ थिरकते रहे श्रोता*

विजयराघवगढ़ श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ साप्ताह मे मधुर वाडी के साथ संगीतमय कथा का रसपान कर रहे भक्त। संकट मोचन आश्रम मे चल रही श्रीमद् भागवत कथा मे आज कथा व्यास वशिष्ठपीठा ईश्वर ब्रम्हर्षि वेदान्ती जी महा राज ने रुक्मणी विवाह की कथा श्रोताओं को सुनाई। कथा का शुभारम्भ भक्तो द्वारा कथा व्यास वशिष्ठपीठा ईश्वर ब्रम्हर्षि वेदान्ती जी की पूजा अर्चना कर शिष्यो ने गुरु आशिर्वाद ग्रहण किया प्रमुख रुप से कैमोर नगर परिषद अध्यक्ष मनीषा अजय शर्मा उपाध्यक्ष संतोष केवट हाईकोर्ट अधिवक्ता संस्कृत विद्यालय मे निशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे केशवानन्द तिवारी जी के पुत्र बृम्हमूर्ती तिवारी समाज सेवी भाजपा नेता पित्रेस पांडे पत्रकार शेरा मिश्रा इंजीनियर हिमांसू गौतम स्वच्छता निरिक्षक प्रथ्वी राज सिंह राम किंकर तिवारी रिशि राज दुवे बिहारी यादव पार्षद अनिता कोल अनिता सेन पूर्व पार्षद सत्यभामा शर्मा आदी ने गुरु महाराज का पुष्प माला के साथ स्वागत कर आशिर्वाद प्राप्त किया। स्वागत की कडी के पश्चात कथा का शुभारम्भ हुआ कथा व्यास जी महाराज ने रुक्मणी विवाह की कथा बताते हुए कहा की। विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मिणी बुद्धिमान, सुंदर और सरल स्वभाव वाली थीं. पुत्री के विवाह के लिए पिता भीष्मक योग्य वर की तलाश कर रहे थे राजा के दरबार में जो कोई भी आता वह श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की प्रशंसा करता कृष्ण की वीरता की कहानियां सुनकर देवी रुक्मिणी ने उन्हें मन ही मन अपना पति मान लिया था। रुक्मिणी ने ठान लिया था कि वे सिर्फ़ श्रीकृष्ण से ही विवाह करेंगी और अगर ऐसा नहीं होता तो अपने प्राण त्याग देंगी रुक्मिणी ने अपनी एक सखी के ज़रिए श्रीकृष्ण को संदेश भेजा संदेश में उन्होंने बताया कि उनका विवाह शिशुपाल से तय हो गया है और वे उनसे प्रेम करती हैं संदेश मिलने के बाद श्रीकृष्ण विदर्भ पहुंच गए और जब शिशुपाल विवाह के लिए द्वार पर आया तब उन्होंने रुक्मिणी का हरण कर लिया रुक्मिणी के भाई रुक्म को जब पता चला तो वह अपने सैनिकों के साथ श्रीकृष्ण के पीछे गया इसके बाद श्रीकृष्ण और रुक्म के बीच युद्ध हुआ, जिसमें श्रीकृष्ण विजयी हुए श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी को लेकर द्वारिका आ गए और दोनों का विवाह हो गया। रुक्मिणी और श्रीकृष्ण के दस पुत्र थे जिनके नाम प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, चारुदेह, सुचारु, चरुगुप्त, भद्रचारु, चारुचंद्र, विचारु, और चारु थे कथा व्यास जी की कथा के साथ साथ श्रीमद् भागवत कमेटी ने श्रीकृष्ण रुक्मणी भेस मे दो बच्चों को तैयार किया गया अद्भुत छवी के रुक्मणी श्रीकृष्ण स्वरूप के भक्तो ने पैर पखारे कन्यादान मे भाग लिया तथा गीतों की धुन पर जमकर आनंदित होकर भक्त झुमते नाचते रहे। कार्यक्रम के संयोजक राघवेश दास वेदान्ती जी विमलेन्द्र प्यासी जी ने भक्तो को विवाह की खुशी पर मिष्ठान वितरण कर खुशीया मनाई।

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