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विश्व आदिवासी दिवस आदिवासियों ने जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए अंग्रेजों के खिलाफ छेड़ी थी जंग

आजादी के बाद से ही देश के आदिवासियों के साथ सरकारें नाइंसाफी कर रही हैं

विकास की सबसे बड़ी कीमत आदिवासी समाज को चुकानी पड़ रही है।
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टोंको-रोंको-ठोंको क्रन्तिकारी मोर्चा की ओर से शुक्रवार को विश्व आदिवासी दिवस ग्राम मूसामूड़ी (भरुही गड़ई ) में क्रन्तिकारी मोर्चा के साथी एवं भुमका और मूसामूड़ी भूमि अधिग्रहण के खिलाफ संघर्ष के साथी शिवकुमार सिंह की अगुवाई में समारोह हुआ। प्रतिकूल मौसम भारी वारिश होने के बाद भी इसमें बड़ी संख्या में क्षेत्रीय आदिवासियों ने शिरकत की। इस मौके पर मूसामूड़ी में सभा का आयोजन कर आदिवासी समाज ने जल,जंगल और जमीन पर अपना अधिकार मांगने के साथ ही पेसा कानून , वनाधिकार क़ानून को सख्ती से लागू करने की मांग रखी। साथ ही आर्यन पावर कंपनी हेतु आदिवासियों की जमीन के फर्जी अधिग्रहण पर कार्यवाही नहीं किये जाने से सरकार के प्रति नाराजगी ब्यक्त की गईं।
बतौर मुख्य अतिथि तिलकराज सिंह (सरपंच टिकरी)  ने विरसा मुंडा के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
मुख्य अतिथि ने कहा कि आजादी के बाद से ही देश के आदिवासियों के साथ सरकारें नाइंसाफी कर रही हैं। आदिवासियों की जल, जंगल और जमीन कल कारखानों के स्थापित करने और बांध बनाने तथा बाघ पालाने हेतु छीनी गई हैं। मुख्य अतिथि ने कहा कि आदिवासियों का उत्पीड़न और उनके साथ हो रहे
अन्याय को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सभा को संबोधित करते हुए क्रन्तिकारी मोर्चा के साथी शिवकुमार सिंह ने कहा कि विकास की सबसे बड़ी कीमत आदिवासी समाज को चुकानी पड़ रही है। आदिवासियों को उनके जमीन से बेदखल करने की साजिश रची जा रही है। बड़े बांध और बड़े उद्योग स्थापित किये जा रहे हैं। इन सभी के लिए आदिवासियों के जमीन को अधिग्रहण के नाम से लूटा जा रहा हैं।उन्होंने कहा की कुसमी अंचल में हाथी समस्या का स्थायी हल निकालने में प्रशासन असफल है। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी हाथियों के पैरों तले कुचले जा रहे हैं,उनके घर और खेत उजड़ रहे हैं।
मुनीमहेश सिंह ने कहा कि आदिवासी समुदाय भारत के जिस-जिस हिस्से में रहा, वहां अपने सभ्यता व संस्कृति का अमिट छाप छोड़ा है। उन्होनें कहा कि हमारे पूर्वजों ने अपने मेहनत, शौर्यता और जीवटता का जो परिचय दिया था,उसकी निशानी आज भी देखी जा सकती है।
पंचम सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि आदिवासियों के जल,जंगल और जमीन के अधिकारों पर लगातार हमला किया जा रहा है। देश में कहीं भी पेसा कानून का पालन नहीं किया जा रहा है। सरकारों की गलत आर्थिक नीतियों की वजह से देश पूंजीवाद के जाल में फंस रहा है। रणमत सिंह ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासी समाज को विकास के लिए संविधान ने बहुत सारे अधिकार दे रखे हैं,लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। विजय बहादुर सिंह कहा कि आदिवासी समाज आज भी गंभीर समस्याओं से घिरा है। अधिकारों के उपयोग के लिए समाज को जागरूक होना होगा। समाज के प्रतिनिधियों को शिक्षा और संवैधानिक अधिकारों के प्रति आदिवासी समाज को जागरूक करने की महती जिम्मेदारी है

विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आदिवासियों ने अपनी सात सूत्री मांगों का ज्ञापन पत्र राजयपाल के नाम सौपा।
1.  आर्य पॉवर जनरेशन कंपनी हेतु मूसामूड़ी एवं भूमका के आदिवासियों की जमीनों का किया गया फर्जी भूमि अधिग्रहण निरस्त किया जाए एवं आदिवासी किसानों को पुनः भूमि स्वामी घोषित किया जाए।
2.  फर्जी भूमि अधिग्रहण के अपराधियों के ऊपर अपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कर जेल भेजा जाय।
3.  आदिवासी किसानों के बैंक खाते में बिना उनके सहमति के भेजी गई मुआवजा राज को तत्काल वापस किया जाए
4.  संजय टाइगर रिजर्व के 54  गांव के आदिवासियों के जवरिया विस्थापन पर रोक लगाई जाय।
5. गुलाब सागर डूब प्रभावित आदिवासी किसानों की पर संपत्तियों का मुआवजा दिया जाए।
6.  ग्राम मूसामूड़ी में प्रधानमंत्री आवास के आदिवासी हितग्राहियों को वर्ष 2021 में प्रथम किस्त दी गईं थी दूसरी किस्त आज तक नहीं दी गई तत्काल दूसरी किस्त प्रदान की जाए।
7. जल, जंगल, जमीन पर हक, पलायन, विस्थापन पर रोक भाषा सांस्कृतिक का संरक्षण, पाँचवी अनुसूची, पेशा एक्ट एवं बनाधिकार क़ानून का कड़ाई से पालन किया जाय।

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