लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद मध्यप्रदेश में फिर होंगे उपचुनाव
लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद मध्यप्रदेश में फिर होंगे उपचुनाव
मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद 7 सीटों पर उपचुनाव हो सकता है, सिंधिया और दिग्विजय के जीतने की स्थिति में राज्यसभा का भी उपचुनाव संभव.!!*
*पंकज पाराशर छतरपुर✍️*
मध्य प्रदेश में डेढ़ दशक में विधानसभा में 66 सीटों पर उपचुनाव हो चुके हैं। अब लोकसभा चुनाव के बाद फिर 7 सीटों पर उपचुनाव की छाया है। इन सीटों पर मौजूदा विधायक और राज्यसभा सदस्यों के चुनाव लड़ने के कारण यदि वे जीतते हैं तो उपचुनाव होंगे। सबसे अहम शिवराज सिंह चौहान की बुदनी विधानसभा सीट है। शिवराज के लोकसभा चुनाव जीतने पर टिकट का फैसला चुनातीपूर्ण होगा। वजह ये कि दो दशक से शिवराज ने इस सीट को अपना व परिवार का गढ़ बना रखा है। शिवराज के बेटे कार्तिकेय का नाम अक्सर टिकट के लिए उभरता रहा है। इस सीट के साथ ही केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की राज्यसभा सीटों को लेकर सियासी समीकरण उलझेंगे।
*कार्तिकेय को माना जाता है टिकट का दावेदार*
शिवराज ने 2003 का विस चुनाव तत्कालीन सीएम दिग्विजय सिंह के खिलाफ लड़कर हारा था, लेकिन भाजपा की सरकार बनी। फिर उमा भारती और बाबूलाल गौर के बाद शिवराज नवंबर 2005 में सीएम बने। तब बुदनी सीट से उपचुनाव लड़कर जीते। तब से बुदनी पर शिवराज का कब्जा है। चुनावों में शिवराज अपने पुत्र कार्तिकेय और पत्नी साधना को प्रचार की जिम्मेदारी सौंपते रहे हैं। ऐसे में कार्तिकेय को टिकट का दावेदार माना जाता है, लेकिन शीर्ष नेतृत्व की गाइडलाइन आड़े आ सकती है। शिवराज लोकसभा चुनाव जीतते हैं तो उपचुनाव में कार्तिकेय को टिकट को लेकर सवाल उठेंगे। किसी दूसरे को टिकट दिया जाता है तो यह शिवराज के गढ़ का हस्तांतरण जैसा कदम माना जा सकता है। दोनों सूरत में चयन मुश्किल होगा।
*कांग्रेस के 4 विधायकों ने लड़ा है लोकसभा चुनाव*
कांग्रेस की ओर से 4 मौजूदा विधायकों या उनमें से किसी के भी लोकसभा चुनाव जीतने पर उस विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव की स्थिति बन सकती है। अभी कांग्रेस के भांडेर विधायक फूलसिंह बरैया ने भिंड संसदीय क्षेत्र से, सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाह ने सतना से, पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल मार्को ने शहडोल से और डिंडोरी विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने मंडला संसदीय क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव लड़ा है। इनके जीतने की स्थिति में संबंधित विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय समीकरणों पर असर होगा।
*उपचुनावों की सियासत बड़ी पुरानी 2020 में सत्ता परिवर्तन का*
मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के 22 विधायकों के साथ कांग्रेस से भाजपा में जाने के बाद 28 सीटों पर उपचुनाव हुए। इनमें 22 सिंधिया के साथ दल बदलने वाले थे तो बाकी भाजपा के जरिए दलबदल करने वाले और निधन से खाली 3 सीटों पर उपचुनाव हुए। 19 सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया। इसके बाद भाजपा की सरकार बनी।